देहरादून। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) द्वारा गुरुवार को रानीचौरी में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली उत्तराखण्ड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय भरसार पौड़ी गढ़वाल के द्वितीय दीक्षांत समारोह में प्रतिभाग किया गया। इस मौके पर कुलाधिपति को गार्ड ऑफ ऑनर की सलामी दी गई, कुलाधिपति द्वारा शौर्य वॉल में वीर सैनिकों को पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धाजंलि दी गई। कुलाधिपति द्वारा वर्ष 2021, 2022 एवं 2023 के सफल 370 स्नातक/स्नातकोत्तर छात्र-छात्राओं को विभिन्न संकायों में उपाधि देकर सम्मानित किया गया, जिसमें 07 गोल्ड मेडलिस्टों को मेडल एवं प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर राज्यपाल द्वारा विश्वविद्यालय की स्मारिका का विमोचन किया गया। इसके साथ ही 06 योजनाओं के धनराशि लागत रूपये 2961.92 लाख के लोकार्पण तथा एक योजना धनराशि लागत रूपये 542.15 लाख का शिलान्यास किया गया।

कुलाधिपति एवं राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) ने पेशावर कांड के नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली को नमन करते हुए सभी को दीक्षांत समारोह की बधाई दी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड देवों और वीरों की भूमि है, यहां लोगों के हृदय में वीरता का जज्बा कूट कूट कर भरा हुआ है। यहां के स्थानीय जैविक उत्पादों की दिव्यता और गुणवत्ता के चलते देश विदेश में इनकी बहुत मांग है और इसी के चलते 78 देशों ने मिलेट्स को मान्यता दी है तथा इसे श्री अन्न कहा गया है। उन्होंने उपाधि और मेडल प्राप्त कर रहे छात्र-छात्राओं से कहा कि अपनी योग्यता को पहचाने और सकारात्मक सोच तथा ढृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़कर अपनी उड़ान को सफल बनाएं। उन्होंने डिग्रीधारकों से कहा कि अपने कौशल को बहुत ऊपर ले जाने में आपको कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, उनका सामना धैर्य एवं लगन के साथ करें। कृषि और उद्यानीकरण के क्षेत्र में रिसर्च और शोध करें, इसमें उत्तराखंड का भविष्य छुपा है।

कुलाधिपति ने कहा कि मा. प्रधानमंत्री जी ने बाबा केदारनाथ जी की धरती से कहा कि 21वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखण्ड का दशक होगा और अब हमारी जिम्मेदारियां और बढ़ जाती है। कहा कि हमारा जीवन, स्वास्थ्य, समाज सबका आधार हमारी कृृषि व्यवस्था है। भारत, प्रकृति और संस्कृति से कृषि प्रधान देश रहा है। बागवानी एवं कृषि क्षेत्र में सुधार हेतु आधुनिक तकनीकी का प्रयोग कर भारत को विश्वगुरू एवं आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने से कोई नही रोक सकता है। कहा कि भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा बागवानी फसलों का उत्पादक बन चुका है।

शिलान्यास एवं लोकार्पण किये गये योजनाओं में औषधीय एवं सगंध पादप संस्थान गैरसैंण(भरारीसैंण) के शैक्षणिक भवन, कार्यालय कक्ष एवं सभागार निर्माण लागत धनराशि 542.15 लाख का शिलान्यास किया गया। वहीं लोकार्पण में औद्यानिकी महाविद्यालय भरसार पौड़ी गढ़वाल के 50 बैडेड बालक छात्रावास धनराशि लागत रू. 359.50 लाख, 50 बैडेड बालिका छात्रावास धनराशि लागत रू. 539.55 लाख, प्रशासनिक भवन के लागत धनराशि रू. 1144.23 लाख तथा कुलपति आवास एवं कैम्प कार्यालय धनराशि लागत रू. 325.77 लाख के लोकार्पण तथा वानिकी महाविद्यालय रानीचौरी टिहरी के टाइप 4 आवासीय भवन धनराशि लागत रू. 111.65 लाख एवं 50 बैडेड बालिका छात्रावास धनराशि लागत रू. 481.22 लाख के लोकार्पण शामिल हैं।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने वर्चुअल माध्यम से दीक्षान्त समारोह की बधाई दी। उन्होंने कहा कि कृषि, बागवानी क्षेत्र में भविष्य बनाने की कई सम्भावनाएं है और राज्य सरकार की मूल अवधारणा से जुडा विषय भी है। सभी छात्र-छात्राएं प्रदेश में शोध एवं अनुसंधान के कार्य जारी रखे। कहा कि प्रदेश की खुशहाली हेतु 27 उत्पादों का जीआई टैग कर देश का पहला राज्य बना चुका है। वर्ष 2025 तक उत्तराखण्ड ड्रग्स फ्री राज्य होगा, कार्बन उत्सर्जन को कम करने हेतु राज्य सरकार कार्य कर रही है, जिसमें सबकी सहभागिता जरूरी है। इकोनॉमिकी के साथ ही ग्रीन इकोनॉमिकी की बात भी कर रहे हैं, ताकि आने वाली पीड़ियां स्वस्थ पर्यावरण में जीवन जी सकें। कहा कि ग्लोबल इन्वेस्टर में निवेशकों द्वारा किये गये एमओयू एवं निवेश से निश्चित ही आर्थिकी एवं रोजगार सृजन में सहायक सिद्ध होगा।

इस मौके पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी द्वारा सभी को बधाई देते हुए सम्बोधित किया गया। जबकि वानिकी महाविद्यालय परिसर रानीचौरी टिहरी गढ़वाल के कुलपति प्रो. प्रवेन्द्र कोशल ने महाविद्यालय के क्रिया-कलाप एवं शैक्षणिक उपलब्धियों से अवगत कराया गया।

 

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