देहरादून। उत्तराखंड में भर्ती परीक्षा में गढ़वाली और कुमाऊंनी बोलियों से जुड़े अधिक प्रश्नों पर अभ्यर्थियों ने आपत्ति जमाई है। उन्होंने दोनों बोलियों से जुड़े प्रश्नों की संख्या सीमित रखने की मांग उठाई है। कहा है कि हरिद्वार, देहरादून और ऊधमसिंह नगर के अभ्यर्थियों को इससे दिक्कत होती है। युवाओं ने सीएम पुष्कर सिंह धामी के नाम संबोधित ज्ञापन विधायक मदन कौशिक और पूर्व मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद को देकर परीक्षा में दो से तीन प्रश्न देने की मांग की है। ज्ञापन में बताया कि हरिद्वार, देहरादून और ऊधमसिंह नगर के बच्चों को गढ़वाली और कुमाऊंनी भाषा के बारे में कोई भी जानकारी नहीं है, क्योंकि न तो वह इस क्षेत्र से आते हैं और न ही उनकी पढ़ाई में ये भाषाएं शामिल रही हैं। अभ्यथियों ने भर्ती परीक्षा में बोलियों के प्रश्न सीमित रखने की उठाई मांग। परीक्षाओं में इन बोलियों से जुड़े प्रश्नों को लगातार बढ़ाया जा रहा है। स्थिति यह हो गई है कि पहले एक-दो प्रश्न आते थे, लेकिन जुलाई में हुई एक परीक्षा में चार प्रश्न आए। जबकि उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग की ओर से 31 दिसंबर को हुई ग्राम विकास अधिकारी की परीक्षा में लगभग 14 प्रश्न कर दिए गए। इससे अभ्यर्थियों को उन्हें हल करने में पेरशानी हुई। कहा कि उनके साथ यह शोषण किया जा रहा है। पर्वतीय बच्चों को लाभ पहुंचाया जा रहा है। इस दौरान अंकित चौहान, रविंद्र शर्मा, दीपक सैनी, लवकुश, सोहन, गोपाल राठी, विरेंद्र चौधरी, कुलदीप, मनोज ,वीरेंद्र आदि मौजूद रहे।

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