गोपेश्वर (चमोली)। राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय गोपेश्वर में बीएड विभाग द्वारा बौद्धिक संपदा अधिकार विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला काशुभारंभ किया गया।

कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रख्यात पर्यावरणविद पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ने हिमालय के समक्ष चुनौतियों का जिक्र किया और इसके समाधन के लिए नए विचारों को अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने बुग्यालों को बचाने के लिए युवाओं से संयमित एवम संरक्षण की जीवन शैली अपनाने की अपील की।

कार्यशाला के विशिष्ट अतिथि अपर जिलाधिकारी चमोली विवेक प्रकाश ने कहा कि समस्त विकास कार्य पर्यावरण संतुलन को मध्यनजर रखते हुए किए जाने चाहिए।कार्यशाला में ऑनलाइन मुख्य व्याख्यान देते हुए गढ़वाल विश्वविद्यालय के डॉ रामकुमार साहू ने बताया कि हर मौलिक विचार किसी भी व्यक्ति की निजी संपत्ति की तरह होता है और अन्य व्यक्ति किसी भी रूप में उस विचार एवं अनुसंधान को अपने नाम से प्रकाशित नहीं कर सकता है।

कार्यक्रम अध्यक्ष प्राचार्य प्रो.केएस नेगी ने कहा कि आने वाला समय बौद्धिक संपदा का है और इस पर ऐसी कार्यशाला आयोजित की जानी चाहिए।विशिष्ट अतिथि शिक्षाविद एवं उद्यमी राकेश गैरोला ने कहा कि उत्तराखंड जैव विविधता के दृष्टिकोण से एक समृद्ध राज्य है इसलिए यहां की कई भोजन शैलियां पेटेंट की जानी चाहिए।

कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में जड़ी बूटी शोध संस्थान चमोली के वैज्ञानिक डॉ अरविंद भंडारी द्वारा जिओ टैग (GI) पर व्याख्यान दिया है। विषय विशेषज्ञ डॉ भावना पाल द्वारा बौद्धिक संपदा अधिकार के महत्व पर व्याख्यान दिया गया।

कार्यक्रम संयोजक प्रो. एके जायसवाल द्वारा सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत एवम धन्यवाद किया गया है। कार्यक्रम समन्वयक डॉ विधि ध्यानी ने कार्यक्रम की रूपरेखा और उद्देश्यों को प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन डा डीएस नेगी द्वारा किया गया और आभार मीडिया कोऑर्डिनेटर डॉ मनीष कुमार ने किया।

इस अवसर पर प्रो. चंद्रावती जोशी, डॉ सरिता पंवार, डॉ सबज कुमार, डॉ अखिल चमोली, डॉ हिमांशु बहुगुणा, डॉ श्याम लाल बटियाटा, डॉ चंद्रेश, डॉ सौरभ रावत, डॉ राजकुमार कश्यप, डॉ अखिलेश कुकरेती, डॉ रंजू बिष्ट, आदि उपस्थित रहे।

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