चमोली (गौचर)। इस वक्त की ताजा खबर सामने आ रही है आपको बता दें सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज गोचर के छात्र-छात्राओं ने स्कूल जाते समय गोचर से आगे डाट पुल के सामने सड़क पर कोई पक्षी गाड़ी की चपेट में आने के कारण फड़फड़ा रही देखा। पक्षी मौत तथा जिंदगी के बीच जूझ रही थी पूरे सर से खून निकल बहर रहा था और आंखों से भी खून निकल रहा था तथा एक आंख पूरी तरह से खून से बंद हो चुकी थी और दूसरी आंख भी बंद हो गई थी, जब स्कूल आ रहे छात्र-छात्राओं ने इस पक्षी को देखा तो अपने आचार्य जी को बताया और आचार्य जी
ने पक्षी को देखा तो वह पक्षी मरने की स्थिति में थी और उसके प्राण निकलने ही वाले थे इस स्थिति में पक्षी को वहां से तुरंत उठाकर उसे विद्यालय में लाया गया तथा उसे थोड़ा सा पानी पिला कर के उसको प्राथमिक उपचार दिया गया तथा उसके सर में बह रहे खून और उसके आंख में बह रहे खून को अच्छी तरह से साफ किया गया तथा उसे प्राथमिक उपचार देने के कुछ देर बाद पक्षी होश में आ गई और उसके तुरंत बाद आचार्य जी द्वारा वन विभाग को सूचित किया गया कुछ समय पश्चात वन विभाग की टीम विद्यालय में पहुंचकर पक्षी को और अच्छी तरह से इलाज करने के लिए ले जाया गया। क्योंकि पक्षी की एक आंख से अभी भी थोड़ा-थोड़ा खून आ रहा था लेकिन अब पक्षी थोड़ा-थोड़ा उड़ रही थी। इस संबंध में विद्यालय के प्रधानाचार्य मदन सिंह चौधरी जी ने बताया कि यह एक सराहनीय कदम है हमें सड़क में पड़े किसी दुर्घटनाग्रस्त पशु–पक्षी या कोई जीव–जंतु हो या इंसान हो उसकी जरुर मदद करनी चाहिए। क्योंकि राह पर चलते हुए राहगीर पर किसी भी तरह से भी कोई दुर्घटना घट जाती हैं, उससमय उसे सहायत देने वाला देवदूत होता हैं । इसी प्रकार से यह घटना जो गाड़ी के ड्राइवर ने पक्षी को कुचल दिया था और यदि ये छात्र-छात्राएं सड़क से इस पक्षी को नहीं उठाते तो किसी अन्य वाहन के आने के कारण फिर से यह दब कर मर जाती। देश या राष्ट्र की सेवा करना सिर्फ बॉर्डर पर ही नहीं होता है अपितु वन्य जीव–जंतु और पशु–पक्षी की सुरक्षा करना भी राष्ट्रीय सेवा का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। तत्पश्चात वन विभाग के अधिकारियों द्वारा भी छात्र-छात्राओं और आचार्यों का तह दिल से धन्यवाद किया गया और बताया कि आपके विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने बहुत बड़ा पुण्य का काम किया है। और आज पता चला कि विद्या भारती में सिर्फ शिक्षा ही नहीं बल्कि दुख:सुख और संस्कार को भी कायम रखने की यहां पर शिक्षा दी जाती है अन्यथा सड़क पर कितने लोग आ रहे थे जा रहे थे लेकिन किसी ने भी इस पक्षी को उठाया नहीं यह भी एक प्राणी है और हम भी एक प्राणी हैं बस अंतर इतना है यह बोल नहीं सकती है इनकी और हमारी दिनचर्या भी एक जैसी है , जैसे हम सुबह विद्यालय आते हैं अपने कार्य से तो यह पक्षी भी अपने कार्य से या अपने बच्चों को भोजन लेकर के आ रही होगी या जा रही हो क्योंकि यह भी एक मां होती है उनके बच्चों को भी अपने मां के आने का इंतजार था होगा। आपको बता दें वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत भी हमें वन्य एवं वन्य जीव, पशु पक्षी का संरक्षण करना संवैधानिक जिम्मेदारी है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 A (G) और नीति निर्देशक सिद्धांत 48(A) के तहत हम सभी का कर्तव्य है कि हमें अपने वन एवं वन्य जीव व पर्यावरण की सुरक्षा करना हमारा मौलिक कर्तव्य हैं ।पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए एक-एक पशु पक्षी की अति आवश्यकता होती है क्योंकि यदि पारिस्थितिकी तंत्र में कोई भी पशु पक्षी की जातियां समाप्त हो जाती हैं तो उसका पूरा प्रभाव हमारे पर्यावरण पर पड़ता है। वन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि यह एक अलग से प्रजाति का पक्षी है तथा वर्तमान समय में बहुत से पक्षियां विलुप्त हो चुकी और बहुत से पक्षियां सालों बाद पहाड़ों में देखने को मिलती हैं। वन विभाग की टीम द्वारा छात्र-छात्राओं तथा विद्यालय परिवार का बहुत–बहुत आभार ब्यक्त किया गया।
संपादक : शिवम फरस्वाण