देहरादून। अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने मंगलवार को सचिवालय में मीडिया को जानकारी दी कि राज्य सरकार द्वारा आन्दोलनरत अभ्यर्थियों द्वारा उठाये गये सभी मुद्दों को गम्भीरता से लेते हुए स्वस्थ एवं सौहार्दपूर्ण संवाद से उनकी सभी समस्याओं को हल करने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। राज्य सरकार अभ्यर्थियों के हितों के लिए सदैव आगे बढ़ कर बातचीत करने एवं समाधान निकालने हेतु तत्पर है। राज्य के युवाओं की सबसे बड़ी मांग थी की नकल विरोधी कानून को सख्त बनाया जाय। राज्य सरकार ने युवाओं की मांग को गम्भीरता से लेते हुए अत्यन्त अल्पावधि में देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून उत्तराखण्ड में लागू किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कानून केवल राज्य सरकार द्वारा सरकारी भर्ती के लिए आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं पर लागू होगा। स्कूलों और डिग्री कॉलेज की परिक्षाओं में यह लागू नहीं होगा। केंद्र सरकार की राज्य में आयोजित की जाने वाली भर्ती परीक्षाओं पर यह कानून लागू नहीं होगा | एसीएस राधा रतूड़ी ने कहा कि युवाओं द्वारा यूकेएसएसएससी एवं लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में पाई गई अनियमितताओं के सम्बन्ध में चल रही एसआईटी एवं एसटीएफ की जांच का पर्यवेक्षण उच्च न्यायालय के न्यायधीश से करवाने की मांग की गई थी। इस पर राज्य सरकार ने अपनी सहमति दे दी है। युवाओं की अपील पर लोक सेवा आयोग के परीक्षा नियंत्रक को भी हटा दिया गया है। इस पद पर अन्य अधिकारी की तैनाती कर दी गई है। इस प्रकार से जो भी मुद्दें आन्दोलनरत अभ्यर्थियों ने सरकार एवं अधिकारियों के समक्ष रखे थे, उन सभी का निराकरण कर दिया गया है। हाल ही में राज्य सरकार द्वारा बनाया गया नकल विरोधी कानून देश का सबसे सख्त कानून है। राज्य सरकार उद्देश्य है कि युवाओं के हितों से खिलवाड़ करने वाले या अनुचित तरीके इस्तेमाल करने वाले व्यक्तियों के विरूद्ध कड़ी सुनिश्चित की जाएगी। इसके साथ ही छात्रों को दिग्भर्मित करने, बरगलाने तथा भ्रामक खबरों के प्रचार-प्रसार करने वालों के विरूद्ध भी सख्त कार्यवाही की जाएगी। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि गत 12 फरवरी को आयोजित की गई राजस्व उप निरीक्षक (पटवारी /लेखपाल) की परीक्षा राज्य के 13 जनपदों के 498 परीक्षा केन्द्रों पर पूरी पारदर्शिता एवं शान्तिपूर्ण तरीके से आयोजित की गई।
इस अवसर पर सचिव शैलेष बगौली, एडीजी (लॉ एण्ड आर्डर) वी. मुरूगेशन व अपर सचिव जगदीश प्रसाद काण्डपाल मौजूद रहे।