देहरादून। आरक्षण मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट में सरकार द्वारा की जा रही पैरवी की चिह्नित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक धीरेंद्र प्रताप ने आलोचना की है। कहा आंदोलनकारी एक-एक कर दम तोड़ने में लगे हैं, वहीं सरकार हाईकोर्ट में पैरवी को लेकर लापरवाह नजर आ रही है। सरकार कड़ा रुख अपनाने के बजाए वहां शपथपत्र जमा करने में भी देरी कर रही है।  इसी क्रम में राज्य आंदोलनकारीयों ने कहा यदि राज्य आंदोलनकारीयों को आरक्षण नहीं मिलता तो फिर से उग्र आंदोलन किया जाएगा उनका कहना हैं कि हमने राज्य को बनाने के लिए राज्य की मांग के लिए कितना क्रूरता और अन्याय को सहा होगा कितने दिन तक जेलों में बंद रहें और कितनो ने अपनी जान की बलि दी , हमारे ही आरक्षण से क्या समस्या हैं उत्तराखंड में क्या और आरक्षण नहीं दिखता क्या , अभी 10% अग्निवीर सैनिकों को भी मिलना हैं, सिर्फ हमारे आरक्षण से कुछ लोगो को समस्या हैं  बोलना हो तो और लोगों के आरक्षण पर भी बोलें यदि राज्य आंदोलनकारी आरक्षण फिर से समाप्त होता तो सभी भर्तियों पर लगेगी रोक आपको बता दे उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने पूर्व में भर्ती विज्ञापन जारी किया था लेकिन आरक्षण की वजह से अधियाचन फिर से वापस भेजा गया और फिर संशोधित करके 10% आरक्षण राज्य आंदोलनकारी के लिए जोड़ा गया जो सभी वर्ग के लिए होगा न कि सिर्फ सामान्य। उसके पश्चात बड़ी मुश्किल से 1 साल बाद भर्ती देखने को मिली उसके साथ ही उत्तराखंड चिकित्सा सेवा विभाग, उत्तराखंड डीएलएड, उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग आदि सभी भर्तियों मे राज्यआदोलन के लिए आरक्षण दिया गया।  यदि ऐसे में राज्य आंदोलनकारी को आरक्षण नहीं दिया जाता तो फिर से बेरोजगारों के लिए नौकरी का सपना, सपना ही रह जएगा। यों तो राज्य में कभी भर्तियां भ्रष्टाचार की बेंट चढ़ जाती हैं तो कभी आरक्षण की भेंट इन सभी कारणों से सिर्फ तैयारी कर रहा बेरोजगार का भविष्य बर्बाद हो रहा है उम्र गुजर रही हैं सादी नहीं हो रही हैं फिर वर्तमान समय में वायरल हो रहे नेपाली बहु की तलाश भी बेरोजगार जारी कर रहें हैं । माननीय हाई कोर्ट द्वारा राज्य आंदोलनकारी आरक्षण से संबंधित नई तारीख जारी की गई है जो नवंबर 27 को फैसला सुनाया जाएगा।

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