चमोली (ईरानी )। आज हम आपको एक ऐसे गांव की पीड़ा के बारे में बता रहें हैं जिसका दर्द बयां कर पाना मुश्किल हैं , पहाड़ में बेहतर स्वास्थ्य को लेकर सरकारें कभी भी गंभीर नहीं दिखाई दी। जिसका खामियाजा यहां के नागरिकों को आए दिन भुगतना पड़ रहा है। इराणी गांव के एक युवक का जंगल में पैर फिसलने से गहरी चोट आई है। जिसे गांव के युवाओं ने कंधों पर सड़क तक पहुंचाकर जिला अस्पताल लाया गया। शुक्रवार को दशोली ब्लाक के दूरस्थ गांव ईराणी के टिकेद्र गायों के साथ जंगल गया था।जहां पर पैर फिसलने से उसके पैर में गंभीर चोट लग गई। सूचना मिलने पर गांव के युवाओं ने टिकेंद्र को डंडी -कंडी के सहारे जान जोखिम में डालकर 10 किमी पैदल उफनते खदेरों को लांघकर सड़क तक पहुंचा। जहां से 60 किमी दूर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां अब टिकेंद्र का इलाज चल रहा है और स्वास्थ्य सामान्य है। आपको बता दें ईरानी और पाना दो ऐसे गांव हैं जहां आज भी सड़क मार्ग नही हैं किस तरह से यहां के लोग बाजार तक आते हैं या कभी कोई बीमार हो जाता हैं तो अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार कर आना होता हैं नदी कोई छोटी नही बल्कि वही नदी हैं जिसने 1960 में पूरा चमोली से श्रीनगर को तहस नहस किया था इस नदी को पर कर आना होता हैं आजकल बरसात में और भी तूफान बनी रहती हैं नदी । गांव आने–जाने का रास्ता भी एक पहाड़ी चट्टान से जाना होता हैं जो आजकल बरसात में टूट जाता हैं इसलिए इनके लिए न अस्पताल पहुंचना आसान हैं न ही बाजार । वैसे यहां से आर पार जाने के लिए पुल हुआ करता था जो अब तोड़ दिया गया हैं क्योंकि गाड़ी के लिए सड़क मार्ग बन रहा हैं, सालों बीत गए लेकिन अभी तक कोई पुल नही बन पाया हैं । पाणा–ईरानी में जब कोई बीमार होता हैं तो पैदल कंधो में रखकर इस खतरनाक पहाड़ी से सड़क तक लाना होता हैं बीमार आदमी तो दूर सड़क तक पहुंचाने वाले लोग ही आधे घायल हो जाते हैं खुद ही बीमार पड़ जाते हैं जब तक बड़ी मुस्किल से सड़क तक लाते हैं तब तक बीमार व्यक्ति की मौत हो जाती हैं ।।
इनका कहना हैं कि सब राजनेता आते हैं वोट के लिए लेकिन जीतने के बाद घाटी को भूल जाते हैं , एक नही सब ऐसे ही हैं ऐसे में गांव वालों का कहना हैं की इस बार लोकसभा चुनाव का हम वहिष्कार करेंगे , इससे तो अच्छा था हम चीन के साथ मिल जाते क्योंकि चीन यहां से सबसे नजदीक हैं यह भारत का यहां से अंतिम गांव है। साथ ही यहां की शिक्षा का भी बेहाल हैं ऐसे में इन गांवों की आजकल बरसात के कारण मुश्किलें और बढ़ गई हैं, सरकार को जल्दी ही इस और ध्यान देने की आवश्यकता हैं ऐसे में कोई घटना घट जाती हैं तो इसके लिए पूर्ण रूप से सरकार की जवाब दे ही होगी क्योंकि इनका कहना हैं सड़क के चक्कर में हमारा आने–जाने का पुल भी तोड़ दिया हैं , जिससे हर कोई जान जोखिम में डालकर नदी आर–पार कर रहे हैं ।।