चमोली (गैरसैंण)। इस वक्त की ताजा खबर सामने आ रही है आपको बता दें बंगाल इंजीनियरिंग की 55 रेजिमेंट में तैनात 30 वर्षीय हवलदार बसुदेव सिंह परोडा 16 अगस्त को लद्दाख क्षेत्र के लेह में एक महत्वपूर्ण एक्सरसाईज क्लोजिंग के दौरान हुए ब्लास्ट में गिरे शेल्टर की चपेट में आने से शहीद हो गये थे। आज उनका पार्थिव शरीर उनके गांव सारकोट पहुंचा। जहां सैकड़ों की संख्या में मौजूद ग्रामवासियों व क्षेत्रवासियों ने उन्हें नम आंखों से अंतिम विदाई दी। जम्मू कश्मीर के लेह में एक महत्वपूर्ण एक्सरसाईज क्लोजिंग के दौरान हुए ब्लास्ट में गिरे शेल्टर की चपेट में आने से शहीद हुए गैरसैंण विकास खंड के सारकोट निवासी वसुदेव सिंह परोडा का आज पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनके पैतृक घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया गया। इससे पूर्व आज सुबह शहीद का पार्थिव शरीर गैरसैंण पहुंचने पर व्यापारियों सहित स्थानीय लोगों ने हाथों में तिरंगा लेकर भारत माता की जय व शहीद वसुदेव सिंह अमर रहे के नारों से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद रहे। वहीं आज सुबह उनका पार्थिव शरीर उनके गांव लाया गया. शहीद का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव सारकोट पहुॅचने पर सबकी आंखे नम हो गई। शहीद के पार्थिव शरीर को देखकर उनकी पत्नी,बेटा-बेटी, माता पिता व भाई-बहन सहित पूरा गांव बिलख बिलख कर रो पड़ा.इस दौरान उनकी अंतिम यात्रा में सैकडों की संख्या में लोगों का हुजूम उमड पडा।इस दौरान ‘जब तक सूरज चांद रहेगा, वसुदेव तेरा नाम रहेगा‘ वसुदेव सिंह अमर रहे के नारे से पूरा क्षेत्र गुंजायमान हो उठा। लोगों ने नम आंखों से उनके पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। विकासखंड गैरसैंण के सारकोट गांव निवासी हवलदार वसुदेव सिंह पुत्र हवलदार फते सिंह बंगाल इंजीनियरिंग की 55 रेजिमेंट में तैनात थे और वर्तमान में वे लेह लदाख में जम्मू-कश्मीर में ड्यूटी पर थे। शहीद सैनिक की अंतिम विदाई में सैकड़ों लोगों ने शामिल होकर उन्हें नम आंखों से विदाई दी।शहीद का अंतिम संस्कार उनके पैतृक घाट मोटूगाड में किया गया। शहीद को मुखाग्नि उनके बड़े भाई जगदीश सिंह ने दी। इस दौरान रुद्रप्रयाग से उनके पार्थिव शरीर को लेकर आए 55 बंगाल इंजीनियरिंग के ओर्डीनरी कैप्टेन अवतार सिंह व रूद्रप्रयाग से आये 6 ग्रिनेडियर के तीन अधिकारी व 15 सैनिकों की टुकड़ी ने बलिदानी को सशस्त्र सलामी दी।

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