चमोली (ज्योर्तिमठ)। हिमालय सदियों से पौराणिक आस्था का केंद्र रहा है। सुदूरवर्ती गांव में बसे ग्रामीण आज भी अपनी पौराणिक मान्यता, परंपरा और आस्था का निर्वहन कर रहे हैं। देवभूमि उत्तराखंड के चमोली जनपद के जोशीमठ ब्लॉक के अंतर्गत उर्गम घाटी में पंचम केदार कल्पेश्वर महादेव जी के शीर्ष पर विराजमान 10,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित श्री फ्यूलानारायण जी का प्राचीन मंदिर स्थित है। इस मंदिर में प्राचीन मान्यताओं के अनुसार पुरुष पुजारी के साथ-साथ एक महिला पुजारी भी भगवान श्री फ्यूलानारायण जी की पूजा अर्चना व श्रृंगार करती है। मंदिर के पूजा अर्चना का दायित्व प्रति वर्ष ग्राम पंचायत भरकी और ग्राम पंचायत भेठा (भेठा, पिलखी, ग्वाणा व अरोसी गांव) के प्रति परिवार की बारी के अनुसार रहती है। मन्दिर तक भरकी गांव से लगभग 04 किमी के ट्रेक करने पर पहुँचा जा सकता है। इस बीच रास्ते में हरे – भरे पेड़ – पौधे, अनेक सारे विनायक व भिरख्वे झरना प्राकृतिक सौंदर्यता से सभी प्रकृति प्रेमी के लिए मनमोहक दृश्य है। मंदिर के कपाट प्रति वर्ष श्रावण संक्रांति के दिन मंत्रोचारण व विधि विधान के साथ सभी भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं और नंदा अष्टमी के अगले दिन नवमी पर मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाते हैं। सप्तमी तिथि को भनाई बुग्याल स्थित मंदिर में पूजा अर्चना के बाद ब्रह्म कमल लेकर नंदा स्वनुल के मायके फ्यूलानारायण पहुंचने पर ही कपाट बंद होने की तैयारी शुरू होने लगती है।इस वर्ष 16 जुलाई 2024 संवत 2081 कर्क संक्रांति पर्यावरणीय पर्व हरेला शुक्ली दशमी तिथि श्री वत्स योग मंगलवार को प्रातः संपूर्ण विधि विधान के साथ फ्यूलानारायण धाम के कपाट खोले जाएंगे।मंदिर के कपाट खुलने से पूर्व फ्रेंड्स ग्रुप व मेला कमेटी भरकी – भेठा मंदिर को भव्य रूप से सजाते हैं। पिछले कई सालों से फ्रेंड्स ग्रुप का इस पूरे धार्मिक कार्य में महत्वपूर्ण योगदान रहता है। इस वर्ष मंदिर के पूजा अर्चना का संपूर्ण दायित्व ग्राम पंचायत भरकी के श्री लक्ष्मण सिंह रावत के परिवार का है। उनके अनुसार इस वर्ष मंदिर में पुरुष पुजारी के रूप में उनके छोटे बेटे विवेक रावत व महिला पुजारी उनकी माता जी श्रीमती राजी देवी रहेंगे।मान्यता के अनुसार श्री नारायण धाम में कपाट बंद केवल भगवती नंदा, स्वनुल, दाणि और जाख देवता के होते हैं। नवमी पर मंदिर के कपाट बंद होने के साथ-साथ सभी लोग ग्राम पंचायत भरकी में आते हैं।इस वर्ष 12 सितंबर 2024, 28 प्रविष्ट भाद्रपद शुक्ली नवमी तिथि गुरुवार को आयुष्मान योग में मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे। इसके बाद सभी भक्तजन ग्राम पंचायत भरकी के लिए प्रस्थान करते हैं। यहां नवमी और दशमी को दो दिवसीय मेला चोपता मंदिर ग्राम भरकी में आयोजित किया जाता है। इसमें दशमी को शाम 4:00 बजे के लगभग नंदा को नंदीकुंड और स्वनुल को सोना श्रृंखर के लिए विधि विधान और पौराणिक जागरों के माध्यम से विदा किया जाता है।
रिपोर्ट – योगिता रावत