गौचर (चमोली)। नव नियुक्त जिलाधिकारी चमोली संदीप तिवारी के प्रयास व दिशा निर्देशन में इस बार गौचर के ऐतिहासिक मैदान में लगने वाले सात दिवसीय औधौगिक विकास एवं सांस्कृतिक मेले को भव्य एवं आकर्षक बनायें जाने के सभी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इस बार पहली बार प्रत्येक संध्या को स्टार नाइट बनाये जाने के लिए स्टार कलाकारों को आंमत्रित किया गया है।14 नवंबर से शुरु होने वाले इस मेले में इस बार मेलाध्यक्ष/ जिलाधिकारी संदीप तिवारी के विशेष प्रयास से 11 से अधिक स्टार कलाकार- गढ़रत्न नरेंद्र नेगी, जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण , बिकास भारद्वाज, खुशी जोशी, अमित खरे, सुरेश कुशवाहा,अंजनी खरे,रुहान भारद्वाज, श्वेता माहरा, करिश्मा शाह और रोहित चौहान के अलावा स्थानीय कलाकार सुशील राजश्री आदि अपनी सुरीली एवं मनमोहक आवाज से सांस्कृतिक कार्यक्रम में दर्शकों का मनोरंजन करेंगे। इन कलाकारों के कार्यक्रमों को मेला प्रशासन द्वारा स्टार नाइट का नाम दिया गया है।वहीं दूसरी खेल मैदान में राज्य स्तरीय फुटबॉल, बेडमिंटन, महिला रस्साकस्सी, रायफल शूटिंग, क्रॉस कंट्री दौड़ भरी मेलार्थियों का भरपूर मनोरंजन करेंगे। इस मेले को भव्य एवं आकर्षक स्वरूप में आयोजित कराने के लिए मेला अध्यक्ष जिलाधिकारी संदीप तिवारी, मेलाधिकारी / उप जिलाधिकारी/ कर्णप्रयाग संतोष कुमार पाण्डेय के साथ जिले के तमाम अधिकारी रात दिन जुटे हुऐ हैं। बता दें कि 14 नवंबर को सूबे के मुखिया पुष्कर सिंह धामी 72 वें राजकीय औद्योगिक विकास एवं संस्कृतिक गौचर मेले का उद्धघाटन करेंगे।

बताते चलें कि पूर्व में भारत और तिब्बत के बीच प्रगाढ़ व्यापारिक रिश्ते थे। चमोली गढ़वाल के सीमांत ग्रामों के भोटिया जनजाति के व्यापारीगण व्यापार हेतु ग्रीष्म ऋतु में तिब्बत के क्षेत्र में जाते थे व शीतकाल में तिब्बत से व्यापार कर लाई गई वस्तुओं एवं अपने ऊनी वस्त्र कालीन, गलीचे, तथा औषधीय जड़ी-बूटियां एवं मसाला इत्यादि का व्यापार गढ़वाल के स्थानीय क्षेत्र व बाजारों में करते थे. इस प्रकार किए जाने वाले व्यापार को व्यापक स्वरूप प्रदान किए जाने हेतु गौचर में व्यापारिक मेले का आयोजन प्रथम बार वर्ष 1943 में किया गया था, और तब से प्रत्येक वर्ष एक नियत तिथि को ही आयोजित किया जाता है।इस मेले की प्रासंगिकता एवं महत्ता को देखते हुए इस मेले को राजकीय मेले का दर्जा प्रदान किया गया है। वर्तमान में यह मेला व्यापारिक मेले के साथ-साथ औद्योगिक विकास एवं सांस्कृतिक विकास के मूल तत्वों के साथ मनाया जाता है। जिसमें जनपद चमोली ही नहीं अपितु जनपद रुद्रप्रयाग,उत्तरकाशी, गढ़वाल-कुमाऊं, उत्तरप्रदेश,हिमांचल प्रदेश व जम्मू-कश्मीर इत्यादि क्षेत्रों के व्यापारी प्रतिभाग करते हैं। साथ ही अपने सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन व संरक्षण भी करते हैं।

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