देहरादून। उत्तराखंड में इस बार पंचायत चुनाव समय पर हो पाएंगे या नहीं, इस पर असमंजस बढ़ता जा रहा है. चारधाम यात्रा की शुरुआत और ओबीसी आरक्षण को लेकर अध्यादेश की देरी ने स्थिति और उलझा दी है। ऐसे में पंचायत चुनाव टलने के पूरे आसार नजर आ रहे हैं।

बता दें 15 अप्रैल को हुई धामी कैबिनेट की बैठक में ओबीसी आरक्षण से जुड़ा अध्यादेश पेश नहीं किया गया। जबकि पंचायत चुनाव से पहले पंचायत एक्ट में संशोधन किया जाना है। इसके बाद ही शासनादेश होगा और प्रतिशत के हिसाब से आरक्षण तय किया जाएगा।जिसके अंतिम प्रकाशन के बाद आपत्तियां आमंत्रित की जाएंगी। इसके बाद आपत्तियों पर सुनवाई कर उनका निपटारा किया जाएगा। एससी, एसटी, ओबीसी और महिला आरक्षण पर आपत्तियों का निपटारा करने के बाद ही पंचायत चुनाव के लिए अधिसूचना जारी की जाएगी।

उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की तैयारियां चल रही हैं,लेकिन चारधाम यात्रा के कारण इसमें देरी हो सकती है। मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में OBC आरक्षण के लिए जरूरी अध्यादेश पर चर्चा नहीं हुई, जिससे चुनाव प्रक्रिया और जटिल हो गई है। हरिद्वार को छोड़कर प्रदेश के 12 जिलों में पंचायत चुनाव होने हैं, लेकिन OBC आरक्षण के लिए पंचायत एक्ट में संशोधन अभी बाकी है। इस बीच, 1 जून को जिला पंचायतों में नियुक्त प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, जिसके बढ़ने की संभावना हैं।

पंचायत चुनाव से पहले OBC आरक्षण लागू करने के लिए पंचायत एक्ट में संशोधन आवश्यक है। इसके बाद शासनादेश जारी होगा, जिसमें आरक्षण का प्रतिशत तय किया जाएगा। फिर अनंतिम प्रकाशन के बाद आपत्तियां आमंत्रित की जाएंगी, जिनका निपटारा कर SC, ST, OBC, और महिला आरक्षण को अंतिम रूप दिया जाएगा। इसके बाद ही पंचायत चुनाव के लिए अधिसूचना जारी होगी। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, इस प्रक्रिया में काफी समय लगेगा।

चारधाम यात्रा 30 अप्रैल 2025 से शुरू होने वाली है, जिसके लिए प्रशासन और पुलिस की पूरी मशीनरी तैनात होगी। इस दौरान पंचायत चुनाव कराना संभव नहीं होगा, क्योंकि यात्रा की सुरक्षा और व्यवस्था प्राथमिकता होगी। यात्रा के दौरान लाखों श्रद्धालु यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, और बद्रीनाथ धाम पहुंचते हैं, जिसके लिए व्यापक संसाधनों की जरूरत पड़ती है। इससे पंचायत चुनाव की तारीखें आगे खिसक सकती हैं।

1 जून को जिला पंचायतों के प्रशासकों का कार्यकाल खत्म हो रहा है। चारधाम यात्रा और OBC आरक्षण की प्रक्रिया में देरी के कारण समय पर चुनाव कराना मुश्किल लग रहा है। ऐसे में प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है। विभागीय सचिव चंद्रेश कुमार का कहना है कि पंचायत चुनाव के लिए 28 दिन की अवधि चाहिए, और विभाग तैयारियों में जुटा है। हालांकि, राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने स्पष्ट किया कि सरकार को पहले आरक्षण तय करना होगा, जिसके बाद ही चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी।

OBC आरक्षण: पंचायत एक्ट में संशोधन और आरक्षण प्रतिशत तय करने में देरी।

चारधाम यात्रा: अप्रैल से अक्टूबर तक चलने वाली यात्रा के कारण संसाधनों की कमी।

प्रशासकों का कार्यकाल: 1 जून के बाद नई व्यवस्था की जरूरत, जो चुनाव में देरी से जटिल हो सकती है। वोटर लिस्ट का अंतिम प्रकाशन 13 जनवरी 2025 को हुआ, लेकिन आरक्षण के बिना चुनाव संभव नहीं।

राज्य निर्वाचन आयोग का कहना है कि सरकार द्वारा आरक्षण तय होने के बाद ही चुनाव की तारीखें घोषित की जाएंगी। यदि चारधाम यात्रा के कारण संसाधन उपलब्ध नहीं हुए, तो चुनाव जून के बाद ही संभव होंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि यात्रा के पीक सीजन (मई-जून) में चुनाव कराना अव्यवहारिक होगा, विभाग को चुनाव के लिए 28 दिन चाहिए, इसके लिए अभी काफी समय है। उनका कहना है कि चुनाव समय पर करा लिए जाएंगे। राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार बताते हैं कि सरकार को आरक्षण तय करना है। हमें अभी आरक्षण नहीं मिला। जब मिलेगा चुनाव करा लिए जाएंगे। उत्तराखंड में पंचायत चुनाव और चारधाम यात्रा के बीच टकराव की स्थिति बन रही है। OBC आरक्षण पर कैबिनेट में देरी और यात्रा की तैयारियों ने प्रशासन के सामने दोहरी चुनौती खड़ी कर दी है। यदि समय पर अध्यादेश जारी नहीं हुआ, तो प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ सकता है यह स्थिति न केवल प्रशासनिक, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर भी चर्चा का विषय बनी हुई है।

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