राष्ट्रीय, (चमोली)। ज्योर्तिमठ जनदेश सामाजिक संगठन के द्वारा 1997 98 के दशक से पंच केदार के पंचम श्री कल्पेश्वर और पंच बद्री के श्री ध्यान बद्री कल्प क्षेत्र उर्गम घाटी से विश्व प्रसिद्ध चिपको आंदोलन की जननी गौरा देवी की स्मृति में हर वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून व 6 जून को उर्गम घाटी में दो दिवसीय गौरा देवी पर्यावरण एवं प्रकृति पर्यटन विकास मेला का आयोजन किया जा रहा। मेला स्थानीय ग्रामीण शिक्षण संस्थाओं के साथ मिलकर संपन्न होता है मेले में जहां स्थानीय लोग अपनी संस्कृति पर्यावरण लोक जीवन पर आधारित शानदार प्रस्तुतियां देते हैं वहीं लोगों का यह मेला आयोजन का बड़ा इंतजार रहता है इस मेले में देश-विदेश के आज तक हजारों की संख्या में लोग पहुंच चुके हैं मेले का मुख्य आकर्षण कल्प क्षेत्र की संस्कृति खान-पान पहनावा एवं यहां की बोली भाषा और गौरा देवी के द्वारा प्रकृति संरक्षण में किए गए योगदान को याद किया जाता है उनके द्वारा स्वर्गीय गोविंद सिंह रावत के नेतृत्व में गौरा देवी के द्वारा 30 से अधिक महिलाओं के साथ मिलकर रेणी के जंगल को बचाने के लिए 1973 1974 के दशक में जो काम किया गया अपने संसाधनों को बचाने के लिए पेड़ों पर चिपक गई थी उसे प्रेरणा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए यह आयोजन किया जाता है राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गौरा देवी पर्यावरण में प्रकृति पर्यटन विकास मेले की पहचान बन चुकी है मेले को उच्च स्तर पर पहुंचने के लिए सामाजिक कार्यकर्ता जनदेश के सचिव लक्ष्मण सिंह नेगी का अहम योगदान है। प्रतिवर्ष विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले लोगों को प्रतिष्ठित गौरा देवी सम्मान से सम्मानित किया जाता है। इस मेले में प्रख्यात समाजसेवी राधा बहन सच्चिदानंद भारती, जगत सिंह जंगली, मेती आंदोलन के कल्याण सिंह रावत, समलौण आंदोलन के वीरेंद्र गोदियाल सहित कई हस्तियां सम्मानित हो चुकी है इस वर्ष भी उत्तराखंड में उत्कृट कार्य करने वालों समाज सेवकों को यह सम्मान दिया गया।
चमोली जिले के निजमुला घाटी के दुर्मी गांव के शिव सिंह फरस्वाण का चयन भी गौर देवी पर्यावरण पुरस्कार के लिए किया गया था । शिव सिंह फरस्वाण को यह पुरस्कार विगत 13 वर्षों से पर्यावरण संरक्षण और पत्रकारिता में जन–जन को जागरूक करने के लिए आज विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण द्वारा प्रदान किया गया। शिव सिंह की प्रारंभिक पढ़ाई अपने गांव के ही विद्यालय से हुई तथा उच्च शिक्षा राजकीय स्नाकोत्तर महाविद्यालय गोपेश्वर से हुई। वर्तमान में प्रवक्ता जीव विज्ञान के पद पर कार्यरत हैं। शिव सिंह को जन–जन को जागरूक करने पर उनके उत्कृट कार्य करने के लिए उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार जी द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका हैं। शिव सिंह ने बचपन से ही पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया हैं तथा वे पर्यावरण संरक्षण और जन–जन को जागरूक करने का कार्य कर रहे हैं।
उनका कहना हैं कि वर्तमान समय में पर्यावरण एक संवेदनशील विषय बन गया हैं , हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती और बड़ा गंभीर विषय हैं जलवायु परिवर्तन जिसके कारण, जैव विविधता खत्म हो रही साथ ही न जाने हजारों वन्य जीव–जंतुओं की जातियां विलुप्त हो गई हैं और हजारों की संख्या में संकटग्रस्त हो गई हैं , जो निकट भविष्य में खत्म हो जायेंगी और इसका सीधा प्रभाव परिस्थिकी तंत्र पर पड़ेगा। लगातार जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम अपनी करवट बदल रहा हैं हजारों साल के रिकॉर्ट तोड़ रहा हैं , समय पर बारिश नहीं हो रही यदि हो भी रही तो सालों का रिकॉर्ड तोड़कर प्राकृतिक आपदा का विकराल रूप धारण कर रही हैं। पृथ्वी का तापमान लगातार दिनों दिन बढ़ता जा रहा । उत्तराखंड में अत्यधिक भूस्खलन और बाढ़ का होना भी चिंतनीय विषय हैं यह एक विश्वव्यापी चुनौती हैं जलवायु परिवर्तन को रोक नहीं सकते लेकिन अभी भी समय रहते इसके प्रभाव को कम किया जा सकता हैं। जलवायु परिवर्तन से बचने के लिए वैश्विक स्तर पर समय रहते ही धरातल पर कार्य करना चाहिए तथा अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने से ही ज्यादातर समस्याओं को कम किया जा सकता हैं। साथ ही अधिक से अधिक जन – जागरुकता अभियान भी चलाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस वर्ष, विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की थीम “विश्व स्तर पर प्लास्टिक प्रदूषण का अंत” करना हैं यह प्लास्टिक कचरे की गंभीर समस्या से निपटने का एक वैश्विक संकल्प है। हमें प्रतिवर्ष सभी लोगों को अधिक से अधिक पौधारोपण कर करना चाहिए तथा माननीय प्रधानमंत्री जी के द्वारा दिया गया संकल्प “एक पेड़ मां के नाम” जरूर लगाएं यदि सभी एक एक पेड़ मां के नाम लगाते हैं तो करोड़ों की संख्या में नए पौधे होगे और , प्रधानमंत्री जी का यह संकल्प सिद्ध करना हम सभीं की जिम्मेदारी हैं इससे जरूर पृथ्वी की जलवायु लाभप्रद सिद्ध होगी। शिव सिंह फरस्वाण को 28 वां गौरा देवी पर्यावरण पुरस्कार 2025 मिलने पर संपूर्ण क्षेत्र में बधाई देते वालों का तांता लगा हुआ है।