महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा देने के बाद भगत सिंह कोश्यारी को लेकर उत्तराखंड भाजपा में भीतर खाने हलचल शुरु होने लग गई है। हालांकि राज्यपाल की कुर्सी त्यागने के बाद कोश्यारी ने एकांतवास में रहकर अध्ययन करने की इच्छा जाहिर की है, लेकिन राजनीति के जानकार मानते हैं कि भगत दा राजनीति से शायद ही दूर रह पाएंगे। वह अब कुछ नया जरुर करवायेंगे। भगत दा के इस्तीफे के बाद से ही सियासी हलकों में यह सवाल तैरने लगा था कि क्या कोश्यारी एकांतवास में जाकर अध्ययन में जीवन बिताएंगे या फिर सियासत में एक शक्तिपीठ की तरह अपने समर्थकों की मुराद पूरी करने का माध्यम बनेंगे। फिलहाल कोश्यारी की घर वापसी को लेकर सियासी निहितार्थ टटोले जाने लगे हैं।

श्री कोश्यारी को राजनीति में बहुत महत्वाकांक्षी राजनेता भी माना जाता है। भगत दा भाजपा के अकेले ऐसे नेता हैं जो इतनी उम्र के बावजूद उत्तराखंड की भाजपाई राजनीति में अभी भी अपरिहार्य माने जाते हैं। उनके बारे में यह माना जाता है कि जब-जब भाजपा सत्ता में होती है वह चुप नहीं बैठे। नित्यानंद स्वामी और जनरल खंडूड़ी सरकार में उलटफेर में उनकी भूमिका किसी से छिपी नहीं है। इस लिहाज से देखा जाए तो पार्टी की परंपरा के लिहाज से राजनीति में 80 वर्ष की आयु पार कर चुके इस नेता के लिए मार्गदर्शक मंडल में ही जगह बचती है।

कई दशकों की सियासत के बाद कोश्यारी के पीछे समर्थकों की एक बड़ी फौज है। जब कोश्यारी राज्यपाल थे, तब संवैधानिक पद की मर्यादाएं थीं। इसके बावजूद उनके अनुयायियों और उनके बीच प्रोटोकॉल कभी आड़े नहीं आया। वह जितनी बार भी देहरादून आए, उन्होंने राजभवन या राज्य अतिथि गृह की मेहमाननवाजी के बजाय अपने किराये के घर में वक्त गुजारा। घर पर जुटने वाली समर्थकों की भीड़ को पसंद किया। अब तो वह ऐसे सभी बंधनों से मुक्त हैं। ऐसे में उन समर्थकों के लिए वे ऑक्सीजन की तरह साबित होंगे, जो सरकार में सत्ता प्रसाद के आकांक्षी हैं। कोश्यारी के रूप में ऐसे समर्थकों के लिए आगे का दरवाजा खुल गया है। उनके अनुयाई कोश्यारी को ऐसे शक्तिपीठ के रूप में देखना चाहेंगे जहां माथा टेककर वह अपनी मनचाही मुराद पूरी कर सकें। सवाल यह भी कि क्या उत्तराखंड की सियासत में भगत सिंह कोश्यारी की वापसी से उनके शिष्य सीएम पुष्कर सिंह धामी को ताकत मिलेगी। कोश्यारी को धामी पिता तुल्य मानते हैं। धामी के सीएम की कुर्सी तक पहुंचने में कोश्यारी की अहम भूमिका रही है। इन समीकरणों के बीच धामी सरकार राज्य में दायित्व बांटने की तैयारी कर रही है। दायित्वों के लिए कई कार्यकर्ता कोश्यारी की परिक्रमा भी कर रहे हैं। देखना होगा अब आगे क्या राजनीतिक उथल-पुथल होती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *