हिरन (काकड के बच्चे) को वाण की धामती देवी नें दिया था नवजीवन
बिंदुली नाम रखा था धामती देवी नें, देहरादून भेजते समय हुई भावुक, छलछला गयी आंखे
वन विभाग के माध्यम से सोमवार को भेजी गयी देहरादून
देवाल(चमोली)। बीते चार फरवरी को चमोली जनपद के देवाल ब्लाॅक के वाण गांव की धामती देवी जंगल में चारापत्ती लेने के लिए गयी थी जहां उन्हें घायल अवस्था में हिरन का एक छोटा बच्चा मिला, जो दर्द से कराह रहा था। घायल हिरन को देखकर धामती देवी की ममता पसीज गयी और वो चारापत्ती को छोड़कर हिरन के बच्चे को घर ले आई। उसकी देखभाल करके उसको नवजीवन दिया था। जिसके बाद इसे वन विभाग को सौंपा गया था। वन विभाग की ओर से इसे देहरादून माल्सी चिडियाघर में छोडने का फैसला लिया गया जिसके तहत सोमवार को वन विभाग के वन दरोगा गब्बर सिंह बिष्ट, वन आरक्षी विनोद डुंगरियाल की ओर से हिरन के बच्चे को वाण से लेकर देहरादून रवाना हो गये हैं जहां वे इसे माल्सी जू में छोड़ेंगे। पशु चिकित्सालय वाण की ओर से हिरन का स्वास्थ्य परीक्षण भी किया गया।
हिरन के छोटे बच्चे बिंदुली को देहरादून के लिए ले जाते समय धामती देवी भावुक हो गयी और उनकी आंखे भर आई। धामती देवी का कहना था की उन्होने अपने बच्चे की तरह इसे पाला और मैने इसका नाम बिंदुली रखा। उन्होने कहा कि इसका जीवन बच गया यही मेरे लिए काफी है। उन्होने देहरादून में भी इसकी अच्छे से देखभाल करने का आग्रह वन कर्मियों से किया। जबकि सामाजिक कार्यकर्ता हीरा सिंह गढवाली नें कहा कि धामती देवी नें एक बेजुबान जानवर की जान बचाकर अनुकरणीय कार्य किया है। विभाग की ओर से ऐसी महिलाओं को सम्मानित किया जाना चाहिए। वन विभाग नें धामती देवी को हिरन के बच्चे की जान बचाने के लिए धन्यवाद अदा किया।