गोपेश्वर (चमोली)। गोपेश्वर के भोले के आंगन में शिव भक्तों की फूल, रंग और गुलाल की गोपीनाथ की होली सात समंदर पार तक प्रवासी पहाड़ियों के बीच हिट हो गई है। इसके चलते हर साल पहाड़ों के विभिन्न इलाकों से लोग गोपेश्वर की होली का दीदार करने पहुंच रहे हैं। यह सर्वविदित है कि देश में फाल्गुन शुरू होते ही होली की तैयारियां शुरू हो जाती है। होली की धूम सिर्फ कृष्ण नगरी, मथुरा और वृंदावन में ही नहीं अपितु उत्तराखंड में भी फाल्गुनी होली की अलग ही पहचान है। पहाड़ के गांवों में होल्यारों की टोली घर घरगाना पहाड़ों से लेकर सात समंदर पार रह रहे पहाड़ियों के बीच हिट हो गया

है। खूबसूरत शहर है गोपेश्वर। सीमांत जनपद चमोली के गोपेश्वर पालिका में अलकनंदा नदी के किनारे पहाड़ी पर बसा गोपेश्वर एक खूबसूरत शहर है। यहां पर नौवीं शताब्दी में निर्मित गोपीनाथ मंदिर एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। गोपीनाथ मंदिर भगवान रूद्रनाथ का शीतकालीन गद्दीस्थल भी है। 1960 में चमोली से 12 किमी की दूरी पर स्थित एक छोटा सा गांव गोपेश्वर था। अब गोपेश्वर एक शहर बन चुका हैं। यहां पर चमोली जिले का मुख्यालय भी हैं । और जनसंख्या भी अधिक मात्रा में हैं यहां की होली हमेशा बहुत हर्षो उल्लास के साथ मनाई जाती है सर्वप्रथम सभी होलियार घर-घर जाकर एक दूसरे को प्यार प्रेम से होली का रंग लगाते हैं और साथ में एक दूसरे को होली की बधाइयां भी देते हैं तथा जिनके घर पर होलियार जाते हैं वे लोग पहले से गुजिया बनाकर के रखते हैं तथा होल्यारों का मुंह मीठा कराते हैं पूरे घर-घर जाकर के होल्यार 11:00 बजे लगभग गोपीनाथ मंदिर प्रांगण में पहुंच जाते हैं इसके  बाद मंदिर समिति के द्वारा डीजे की व्यवस्था की जाती है और सुंदर से गानों के साथ सभी होल्यार डांस करते हैं तथा एक दूसरे पर रंग लगाते हैं।  तथा एक दूसरे को होली की बधाइयां देते हैं इस प्रकार यह होली का त्यौहार बड़े हर्षो उल्लास के साथ मनाया जाता है यहां की होली इसलिए चर्चित है क्योंकि यहां सभी लोग  एकता से रहते हैं और एक साथ मिलकर के  होली खेलते हैं। अभी तक गोपेश्वर की होली की वीडियो लाखों की संख्या में  विभिन्न देशों की जनता देख चुकी हैं ।

संपादक : शिवम फरस्वाण

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