देहरादून/चमोली। राजकीय शिक्षक संघ जनपद चमोली की एक आम बैठक रविवार को राजकीय इंटर कॉलेज गौचर में आयोजित की गई, जिसमें शासनादेश संख्या 354125 के माध्यम से चयन प्रोन्नत वेतनमान पर शिक्षकों को अतिरिक्त वार्षिक वेतनवृद्धि न दिए जाने के निर्णय का कड़े शब्दों में विरोध किया गया।

बैठक को संबोधित करते हुए संघ के जनपद अध्यक्ष प्रकाश चौहान ने कहा कि यदि समय रहते सरकार की इस शिक्षक विरोधी नीति का ठोस विरोध नहीं किया गया तो उत्तराखंड में शिक्षा व्यवस्था और शिक्षकों का अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड वेतन नियमावली 2016 के अंतर्गत चयन प्रोन्नत वेतनमान पर सभी राज्य कर्मियों, शिक्षकों सहित, को वार्षिक वेतनवृद्धि का लाभ मिलता था, जिसे संशोधन के माध्यम से केवल शिक्षकों के लिए समाप्त कर दिया गया है, जबकि अन्य संवर्गों को यह लाभ मिलता रहेगा। यह निर्णय संवैधानिक समानता के सिद्धांत का सीधा उल्लंघन है।

संघ के जनपद मंत्री बीरेंद्र सिंह नेगी ने इस फैसले को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि समान पद व समान परिस्थितियों में शिक्षकों को अलग कर देना मनमाना वर्गीकरण है। जब तक राज्य सरकार यह सिद्ध नहीं करती कि शिक्षकों को अलग रखने का कोई ठोस, तर्कसंगत एवं जनहित में कारण है, तब तक यह संशोधन असंवैधानिक माना जाएगा।

पोखरी विकासखंड के ब्लॉक अध्यक्ष महावीर जग्गी एवं मंत्री संदीप नेगी ने कहा कि शिक्षक वर्षों से इस वेतनवृद्धि का लाभ ले रहे थे, जिसे बिना किसी ठोस कारण के अचानक समाप्त कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के अनुसार राज्य सरकार किसी स्थापित सेवा लाभ को मनमाने ढंग से नहीं छीन सकती।

कर्णप्रयाग इकाई के अध्यक्ष सुरेंद्र भगत एवं मंत्री सुरक्षित भंडारी ने कहा कि यदि वित्तीय कारणों से कोई संशोधन किया जाता है तो वह सभी संवर्गों पर समान रूप से लागू होना चाहिए। केवल एक वर्ग को लक्षित करना असंवैधानिक है। उन्होंने वेतन नियमावली 2016 के प्रस्तर 13 के उपनियम (i) व (ii) का हवाला देते हुए कहा कि प्रोन्नति अथवा चयन वेतनमान पर एक अतिरिक्त वेतनवृद्धि का स्पष्ट प्रावधान था, जिसे संशोधन के माध्यम से समाप्त कर दिया गया है, जिसका संघ विरोध करता है।

बैठक में उपस्थित शिक्षकों ने एक स्वर में कहा कि यदि सरकार की शिक्षक विरोधी नीतियों का समय पर विरोध नहीं किया गया तो भविष्य में और भी अधिकारों से वंचित होना पड़ेगा। शिक्षकों का यह अपमान असहनीय है और इसका विरोध संगठन की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

बैठक में महेंद्र शाह, जगदीश कंसवाल, दिनेश फरस्वाण, विनोद नेगी, हरीश पंवार, सचिन कुमार, देवेंद्र देवली, मोहन सिंह कठैत, शशी नौटियाल, जगमोहन मल सहित अनेक शिक्षक उपस्थित रहे। बैठक का संचालन सुरेंद्र राणा ने किया।

 

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