काजल पुरी ने किससे ली थी टाटा सफारी?
हरिद्वार। सुधीर गिरि हत्याकांड़ के आरोपियों को कोर्ट द्वार सजा सुनाए जाने के बाद लोगों में विश्वास जगा है। देर से ही भले, किन्तु न्याय की मिलने की आस लोगों में बलवती हुई है। गवाहों के मुकरने, पैसे के प्रभाव के बाद भी सुधीर गिरि के हत्यारों को सजा मिली। अभी बहुत से ऐसे हैं, जिन्हें सलाखों के पीछे पहुंचना है, किन्तु प्रभाव के चलते वह शासन-प्रशासन की मिलीभगत से बचे हुए हैं। बावजूद इसके लोगों को उम्मीद है कि एक दिन सतयुग फिर आएगा और अधर्मियों को उनके पापों की सजा मिलेगी। हरिद्वार सप्त मोक्षदायिनी नगरियों मंे से एक है। इसे संत नगरी भी कहा जाता है। यहां अनेक विद्वान पूजनीय संत हैं, जो समाज का मार्गदर्शन करते हैं, लेकिन इसके विपरीत कुछ लोग ऐसे भी हैं जो धर्म की आड़ लेकर तीर्थ की मान मर्यादा को कलंकित कर रहे है।ं ऐसे लोगों के लिए सनातन परंपरा, विधि-विधान कोई मायने नहीं रखते। इसके लिए वे लोग तो जिम्मेदार है हीं साथ ही संत समाज भी जिम्मेदार है, जो भगवे की आड़े में किए जा रहे अधर्म के खिलाफ अपनी जुबान बंद किए हुए है। ऐसे लोग अपने धनबल के आधार पर अपनी मनमानी करते चले आ रहे है। विडंबना है कि ऐसे संगठित गिरोहों पर सरकार या साधु-सन्यासी कोई लगाम नहीं लगा पा रहे, जो चिंताजनक है। लेकिन दुःखद यह है की इन दिनों कुछ मुट्ठी भर प्रभावशाली लोग और उनके संगठन विधि-विधान को तार-तार कर लगातार अपनी मनमानी कर रहे हैं। इतना ही नहीं यह लोग खुद के नियम कानून लागू कर रहे है।ं यहां तक की सनातन परंपरा को दरकिनार करते हुए आस्था के केंद्रों को कलंकित करने में अपना योगदान दे रहे हैं, जिनके खिलाफ कोई कड़ी कार्यवाही करने की बजाए जिम्मेदार अधिकारी ऐसे लोगों का बचाव कर इनके आगे नतमस्तक हो रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि कनखल क्षेत्र के बैरागी कैंप (कुंभ मेला हेतु आरक्षित भूमि) पर स्थित एक मंदिर है। इस मंदिर का संचालन संस्था नहीं वल्कि वहां रहने वाली एक महिला काजल अरांेड़ा ऊर्फ काजल पुरी करती थी ?
सूत्र बताते हैं की काजल पुरी को एक प्रभावशाली ने अपनी टाटा सफारी उपहार स्वरूप दी थी। इतना ही नहीं टाटा सफारी के ड्राइवर और ईंधन का खर्च भी कथित संत ही देता था। फिलहाल महिला काजल पुरी और उसका परिवार जेल में है। सूत्र बताते हैं की काजल पुरी के नाम दर्ज टाटा सफारी काफी समय तक बैरागी कैंप में स्थित मंदिर के बाहर देखी गई थी, लेकिन यह गाड़ी वर्तमान समय में कहां है इसका किसी को कोई अता पता नहीं है। सवाल यह है कि आखिर एक साधारण सी महिला को गाड़ी क्यों भेंट की गई। महिला अरोड़ा से पुरी कैसे हो गई। उसे पुरी नामा किसने दिया। स्थिति यह है कि महिला जेल में बंद है और उसका बेटा दर-दर की ठोकर खाता हुआ आवार बच्चों की भांति घूमता फिरता है।