देहरादून। इस वक्त की एक खबर सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही हैं , इस खबर की सच्चाई क्या हैं , उत्तराखंड के जौलीग्रांट के सतेली गांव के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में केवल एक छात्र पढ़ता है। दिल्ली से पढ़ने आए इस छात्र को पढ़ाने रोज़ सहायक अध्यापक अरुण रावत बंदूक लेकर स्कूल पहुंचते हैं। यह इलाका जंगली जानवरों से भरा है, इसलिए शिक्षकों को जानवरों से बचने के लिए हथियार साथ ले जाना पड़ता है।
विद्यालय में दो शिक्षक और एक भोजन माता सेवा दे रहे हैं। छात्र कक्षा 8 में है और नया सत्र शुरू हो चुका है। एकमात्र छात्र के भरोसे स्कूल चल रहा है, इसलिए अन्य स्कूलों की तरह यहां प्रवेश उत्सव नहीं मनाया गया।
विद्यालय प्रशासन और शिक्षा विभाग के सामने यह स्थिति किसी चुनौती से कम नहीं है। यहां पढ़ा रहे दो शिक्षकों में से एक को महीने में दो बार मेडिकल जांच के लिए जाना होता है। ऐसे में अकेले शिक्षक अरुण रावत को हर स्थिति का सामना करना पड़ता है। अरुण रावत बताते हैं कि वे जंगली जानवरों के खतरे के कारण बंदूक साथ ले जाते हैं। रास्ते में कई बार हाथियों, भालुओं और तेंदुओं से सामना हो चुका है। जंगलों से गुजरने वाले रास्ते में मोबाइल नेटवर्क भी नहीं रहता, जिससे किसी आपात स्थिति में मदद पाना मुश्किल हो जाता है।
खंड शिक्षा अधिकारी हेमलता गौड़ ने बताया कि यदि छात्र संख्या नहीं बढ़ी, तो विद्यालय को समीपवर्ती किसी स्कूल में मर्ज किया जा सकता है। अभी प्रयास है कि छात्रों की संख्या बढ़ाई जाए ताकि विद्यालय जारी रह सके।