चमोली (गोपेश्वर)। राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय गोपेश्वर में हरेला सप्ताह का समापन बीएड विभाग द्वारा संगोष्ठी के साथ किया गया। हरेला सप्ताह के अंतिम दिन एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसका शीर्षक था “हरेला पर्व की बीएड प्रशिक्षण हेतु प्रासंगिकता एवं पर्यावरण संरक्षण में योगदान”। जिसका मुख्य उद्देश्य था हरेला के सांस्कृतिक महत्व के अलावा पर्यावरण संरक्षण के पक्ष को उजागर करना। हरेला त्यौहार महाविद्यालय में मनाने के साथ-साथ व्यापक वृक्षारोपण अभियान भी इस सप्ताह में चलाया गया जिसका उद्देश्य था महाविद्यालय परिसर में और आसपास के क्षेत्र में हरियाली को बढ़ाना। इस संगोष्ठी का प्रारंभ बीएड प्रथम वर्ष की छात्राध्यापिकाओं द्वारा सरस्वती वंदना से किया गया। सेमिनार का संचालन छात्रा कोमल द्वारा किया गया। दीपिका द्वारा हरेला पर्व के विषय में सामान्य जानकारी दी गई। शिवानी रावत ने हरेला को मनाने की प्रक्रिया को बताया कि किस प्रकार सभी उत्तराखंड वासी द्वारा हर्ष उमंग के साथ इस त्यौहार को मनाया जाता है । बड़े बुजुर्गों द्वारा अपने से छोटे परिवार के सदस्यों को आशीर्वाद के रूप में हरेला लगाया जाता है । प्रतिभा ने हरेला पर्व के महत्व के विषय में बताया कि किस प्रकार हरेला का पर्यावरण के संरक्षण में महत्वपूर्ण स्थान है। छात्र अध्यापक विजय जोशी के द्वारा बीएड प्रशिक्षकों के लिए हरेला पर्व के महत्व को उजागर किया गया। जिससे छात्र अपने पर्यावरण के प्रति संवेदनशील हो सके । प्रो अमित जायसवाल ने छात्रों को हरेला के सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्व बताएं। प्रो. चंद्रावती जोशी ने सबको कुमाऊं की संस्कृति के बारे में बताया और समाज को हरेला पर्व से संबंधित करते हुए उसका महत्व पर प्रकाश डाला। बीएड की विभागाध्यक्ष प्रो स्वाति नेगी ने हरेला पर्व के सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं सामाजिक महत्व को बताया। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो के . एस. नेगी द्वारा इस कार्यक्रम के लिए प्रेरणा दी गई।सेमिनार में डॉ अखिलेश कुकरेती, डॉ अखिल चमोली, डॉ चंद्रेश जोगेला, डा विधि ढौंडियाल , डॉ सरिता पवार उपस्थित थे ।
संपादक : शिवम फरस्वाण