हरिद्वार। तहसील व विकास प्राधिकारण के व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण आम आदमी को समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है। बिना किसी बात के आम आदमी को परेशान करने वाले विकास प्राधिकरण की कार्यशैली का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि किसी और की जमीन पर प्राधिकरण के अधिकारियों व कर्मचारियों ने सांठगांठ कर किसी अन्य के नाम पर नक्शा पास कर दिया। अब भूमि स्वामी कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने को मजबूर है। अधिकारियों व कर्मचारियों की गलती की सजा अब भू स्वामी एसआर ट्रेडर्स अमृतसर भुगत रहा है।
एक ऐसा ही प्राधिकरण की कार्यशैली का अजीबोगरीब प्रकरण सामने आया है, जहां प्राधिकरण ने एक ऐसे व्यक्ति का भवन का नक्शा पास कर दिया, जिसके पास उसकी अपनी कोई भूमि थी ही नहीं। अर्थात स्वामित्वविहीन व्यक्ति को दूसरे की भूमि पर भवन निर्माण का नक्शा स्वीकृत कर दिया गया। जब वास्तविक भूमि स्वामी ने प्राधिकरण में शिकायत की तो प्राधिकरण के अधिकारियों के होश उड़ गये और अब आनन-फानन में नक्शे को निरस्त कराने के लिए लिखत-पढ़त करते दिखाई दे रहें हैं।
ताजा प्रकरण शेखूपुरा कनखल का है जहां वर्तमान भू स्वामी ने शिकायती पत्र देकर प्राधिकरण से मांग की है कि उसकी भूमि पर जो नक्शा स्वीकृत किया गया है वह भूमि उसकी है, जो उसने भूषण से 10.7.64 को क्रय की थी। भूषण शर्मा ने उक्त भूमि कुन्दन सिंह अमीर सिंह पुत्र गुरूदयाल से क्रय की थी, जो कुन्दन सिंह, अमीर सिंह ने रामानन्द से 25.2.56 को खरीदी थी। भूषण शर्मा ने उक्त भूमि का दाखिल खारिज कराने के लिए न्यायालय सहायक कलेक्टेªट, प्रथम श्रेणी, हरिद्वार में वाद दायर किया, जिसमें न्यायालय के आदेश 10.4.87 से भूषण शर्मा का नाम खतौनी में दर्ज कर दिया गया, जो कई वर्षो तक दर्ज रहा। 30.4.2004 कां भूषण शर्मा के वारिसों ने उक्त भूमि को एसआर टेªडर्स अमृतसर को बेच दिया। जो वर्तमान में भूमि का असली मालिक व स्वामी है। राजस्व अभिलेख नकल खतौनी की अनदेखी कर विकास प्राधिकरण के कर्मचारियों व अधिकारियों द्वारा स्वामित्वहीन व्यक्ति सुभाष सिंह के प्रार्थना पत्र पर नक्शा पास कर दिया गया। जिसकी जानकारी होने पर भूस्वामी ने 24.5.2022 को विकास प्राधिकरण में लिखित आपत्ति दी गई और मुख्यमंत्री सहित उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर तहसील अधिकारियों व प्राधिकरण के अधिकारियों के काले कारनामें से अवगत कराते हुए अपनी भूमि पर गैर कानूनी तरीके से पास किये गये नक्शे को निरस्त कराने की मांग की है।
संज्ञान में आया है कि तहसील कर्मचारियों ने बिना किसी वैधानिक आदेश के कुन्दन सिंह और अमीर सिंह के वारिसों के नाम खतौनी में दर्ज कर दिये, जबकि कुन्दन सिंह व अमीर सिंह उक्त भूमि को पहले ही बेच चुके थे, फिर वारिसों के नाम किस आधार पर खतौनी में दर्ज किये गये। यह जांच का विषय है।